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5 recruitment exams were conducted in 10 years
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जयपुर6 मिनट पहले

राजस्थान हाईकोर्ट ने 2021 RAS प्री परीक्षा के रिजल्ट को रद्द कर दिया है। जिसके बाद लगातार पांचवीं बार राजस्थान की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा विवादों के घेरे में आ गई है। राजस्थान को प्रशासनिक अधिकारी देने वाली भर्ती परीक्षा लेट होने का यह पहला मामला नहीं है। साल 2012 से अब तक RPSC पांच बार RAS भर्ती परीक्षा का आयोजन करा चुका है। हर बार सरकारी सिस्टम के फेलियर की वजह से भर्ती परीक्षा निर्धारित वक्त पर पूरी नहीं हो पाई है।

राजस्थान की सबसे प्रतिष्ठित मानी जाने वाली इस भर्ती में RPSC की लापरवाही के चलते हर बार नया विवाद खड़ा होता है। RPSC ने अब तक इन विवादों का स्थायी समाधान खोजने की कोशिश तक नहीं की। पिछले 10 सालों में RPSC 2012, 2013, 2016, 2018 और 2021 में भर्ती परीक्षा का आयोजन कर चुका है। जिनमें लगभग 4800 पदों के लिए 20 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए। हर बार सरकारी लाल फीताशाही की वजह से हर भर्ती परीक्षा दो से तीन साल तक पूरी हुई है। इन भर्ती परीक्षा के दौरान सरकार के साथ RPSC के अध्यक्ष भी बदले है। लेकिन हर बार विवादों की वजह से RAS भर्ती हाईकोर्ट, तो कभी सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंची है। लेकिन RPSC के हालत जस के तस है। ऐसे में भर्ती समय पर नहीं होने के कारण प्रदेश को अफसर भी वक्त पर नहीं मिल पाते। जिसका सीधा असर प्रशासनिक कामों पर पड़ता है।

सबसे ज्यादा विवादों में रही 2018 RAS भर्ती परीक्षा

  • 11 अप्रैल 2018 को 1017 पदों पर निकली गई भर्ती प्रक्रिया 3 साल तक पूरी नहीं हो पाई। 5 अगस्त 2018 को प्री परीक्षा आयोजित हुई। 2 महीने बाद अक्टूबर में प्री परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया। जिसमें 15,615 अभ्यर्थी सफल रहे। इसमें ओबीसी की कटऑफ 99.33 और सामान्य की 76.06 रही। इस दौरान दो बार विस्तारित रिजल्ट जारी हुआ। जिसके बाद पात्र अभ्यर्थियों की संख्या 22 हजार पर पहुंचने से परीक्षा स्थगित करने के लिए आंदोलन शुरू हो गया। जनवरी में परीक्षा स्थगित हुई।
  • RAS-2018 की मुख्य परीक्षा जून 2019 में हुई। जुलाई 2020 में रिजल्ट जारी हुआ। सामान्य और ओबीसी की कटऑफ के विवाद के चलते हाईकोर्ट ने रिजल्ट पर रोक लगाई थी। सरकार को भर्ती के नियमों में संशोधन करना पड़ा। इसके बाद रिजल्ट जारी हुआ। इसमें 34 पदों की संख्या में बढ़ोतरी की गई। इसके बाद कुल पदों की संख्या 1051 हो गई है।
  • रिजल्ट जारी होने के बाद 14 दिसंबर से इंटरव्यू शेड्यूल हुए थे। लेकिन सभी वर्गों की अलग कटऑफ जारी करने व पदों के दोगुने अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में शामिल नहीं करने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई। इस पर फैसला सुरक्षित रखते हुए हाईकोर्ट ने इंटरव्यू पर रोक लगा दी। इसके बाद जुलाई 2021 में इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी हुई और 13 जुलाई की शाम रिजल्ट जारी किया गया।
  • लेकिन इस रिजल्ट में राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर समधी के बेटे और बेटी को परीक्षा में अच्छे नंबर दिलाने का आरोप लगा। भर्ती परीक्षा में डोटासरा की बहू के भाई और बहन के नंबर भी बराबर आए थे। दोनों को ही परीक्षा में 80 प्रतिशत अंक मिले थे। जिसके बाद प्रदेशभर में RAS भर्ती 2018 परीक्षा में धांधली को लेकर विरोध शुरू हो गया था।

RAS 2016 में कटऑफ पर हुआ विवाद

  • राजस्थान में साल 2016 में 725 पदों के लिए RAS भर्ती निकली गई थी। RPSC ने कुल पदों के मुकाबले 15 गुना को मेन्स परीक्षा के लिए योग्य माना। इसमें ओबीसी की कटऑफ सामान्य से अधिक थी। सामान्य की कटऑफ तक के ओबीसी के अभ्यर्थियों को मेन्स में शामिल किया गया। जिसमें अतिरिक्त रूप से शामिल 66 का चयन हुआ। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो 66 के चयन पर तलवार लटक गई।
  • RPSC ने इस पूरे विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। इस वजह से 17 अक्टूबर 2017 को फाइनल रिजल्ट आने के बाद भी पास हुए अभ्यर्थियों को जुलाई 2019 में नियुक्ति मिल पाई।

पेपर लीक से हुआ विवाद

  • RPSC ने 2013 में 990 पदों के लिए भर्ती की प्रक्रिया शुरू की थी। भर्ती नए पैटर्न पर और बिना स्केलिंग फॉर्मूले के हुई। लेकिन यह परीक्षा पेपर लीक प्रकरणों के चलते समय पर पूरी नहीं हो सकी। पेपर लीक प्रकरण में भी RPSC के तत्कालीन अध्यक्ष हबीब खान गौराण का नाम सामने आया था। इस भर्ती की प्री परीक्षा दो बार हुई। यह भर्ती भी करीब तीन साल बाद 2017 में पूरी हो सकी थी।

स्केलिंग फॉर्मूले पर हुआ विवाद

  • साल 2012 में 1106 पदों पर RAS भर्ती परीक्षा आयोजित की गई। इसके परिणाम में स्केलिंग फार्मूले को लागू किया गया था। जिसको लेकर अभ्यर्थी लगातार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे। जिसकी वजह से 2015 तक 2012 भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिल पाई थी।

विवादित प्रश्नों के साथ सिलेबस पर बढ़ा विवाद

  • राजस्थान में जुलाई 2021 में 988 पदों पर RAS भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। जिसके लिए अक्टूबर में 3 लाख 80 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। नवंबर में प्री परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया। जिसमें मुख्य एग्जाम के लिए लगभग 20,000 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। लेकिन 10 प्रश्नों के गलत जवाब को लेकर अभ्यर्थी कोर्ट चले गए जिसके बाद कोर्ट ने प्री परीक्षा का परिणाम फिर से जारी करने के आदेश दिए हैं। ऐसे में कोर्ट के दखल के बाद 25 और 26 फरवरी को आयोजित होने वाली मुख्य परीक्षा की तारीख एक बार फिर आगे खिसक गई है।
  • 2021 प्री परीक्षा के बाद RPSC ने मुख्य परीक्षा के सिलेबस में बदलाव किया था। प्रदेशभर में बड़ी संख्या में छात्र और उनके परिजन मुख्य परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने की भी मांग कर रहे थे। लेकिन सरकार ने मुख्य परीक्षा की तारीख आगे नहीं बढ़ाई। जिसको लेकर विवाद काफी बढ़ गया और छात्रों ने अनिश्चितकालीन अनशन भी शुरू कर दिया था।

RPSC देती है तारीख पे तारीख

राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा कि RPSC छात्रों को रोजगार देने की जगह अफसर तारीख देती है। सिर्फ RAS ही नहीं बल्कि RPSC की हर भर्ती परीक्षा में विवाद होते हैं। जिनकी वजह से सालों से तैयारी कर रहे छात्रों का भविष्य अधर-झूल में अटक रहा है। ऐसे में सरकार को RPSC की कार्यशैली में सुधार लाना चाहिए। इसके साथ ही जो भर्ती परीक्षाएं कोर्ट में जा रही है। उन्हें रोकने के लिए भी कारगर कदम उठाने चाहिए।

UPSC की तर्ज पर हो परीक्षा

शिक्षाविद जयंती लाल खंडेलवाल ने बताया कि राजस्थान प्रशासनिक सेवा प्रदेश की सबसे बड़ी और मुख्य परीक्षा है। लेकिन पिछले कई सालों से यह परीक्षा निर्धारित वक्त पर पूरी नहीं हो पाई है। जो न सिर्फ RPSC बल्कि सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है। ऐसे में सरकार को RPSC की कार्यशैली में सुधार लाना चाहिए। इसके साथ ही UPSC की तर्ज पर निर्धारित भर्ती कैलेंडर के आधार पर परीक्षा को पूरा करना चाहिए। तभी RPSC की खोई हुई साख फिर से लौट पाएगी।

सरकारी सिस्टम ने किया परेशान

पिछले 3 सालों से RAS भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही सरोज ने बताया कि प्राइवेट नौकरी छोड़ प्रशासनिक सेवा में जाने की तैयारी कर रही हूं। लेकिन एक बार फिर भर्ती प्रक्रिया कोर्ट में चली गई है। जिससे मुझ जैसे हजारों अभ्यर्थियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। मुझे लगता है कि सरकार को अपने सिस्टम में सुधार लाना चाहिए। क्योंकि सरकारी सिस्टम के फेलियर का खामियाजा सीधे तौर पर छात्रों को उठाना पड़ रहा है।