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श्रीनगर: कश्मीर की चेरी अब एयरलिफ्ट होगी और देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचेगी. सरकार ने इसके लिए एक निजी एयरलाइंस से समझौता किया है. इस फैसले से किसानों में उम्मीद जगी है कि इससे पिछले कई सालों के नुकसान की भरपाई हो पाएगी.

घाटी की पहली प्रमुख फल फसल चेरी है. इस साल इसकी बंपर फसल हुई है और कटाई भी शुरू हो गई है. सरकार भी किसानों के समर्थन में आगे आई है और कश्मीर घाटी से देश के विभिन्न हिस्सों में चेरी फल को एयरलिफ्ट करने के लिए एक निजी एयरलाइंस के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं.

फसल को नहीं होगा नुकसान 

इस कदम से किसानों को आर्थिक लाभ तो होगा ही और साथ ही खरीदारों के इंतजार में उनकी फसल को नुकसान नहीं होगा. कश्मीर हॉर्टीकल्चर विभाग के निर्देशक एजाज अहमद भट्ट ने कहा, ‘इस साल हमारी यहां की सरकार ने पहले ही निर्णय किया. इसके लिए बजट में हमने एक प्रपोजल सबमिट किया है. हमें उम्मीद है कि सरकार उसे अप्रूव करेगी और इसको लागू किया जाएगा.’

उन्होंने कहा कि हमने  गो एयर के साथ जम्मू-कश्मीर से मुंबई के लिए एक एमओयू साइन किया है. जिसमें मुंबई के लिए 34 रुपये और दिल्ली के लिए 24 रुपये रेट है, जो काफी सस्ता है. इस पर हम 25% सब्सिडी देंगे. हमने रेफ्रिजरेटेड ट्रक्स का इंतजाम किया है. उनके साथ हम एमओयू साइन करने जा रहे हैं. उसमें भी 25% इन्सेंटिव दिया जाएगा.

भट्ट ने कहा, चेरी का जो प्रडक्शन है, वो 13 हजार से 14 हजार मीट्रिक टन तक होता है और इस साल चेरी का प्रोडक्शन और मार्केट दोनों ही ठीक है. डिमांड भी अच्छी है और नेफेड भी सहयोग कर रहा है.

कश्मीरी चेरी दुनिया भर में मशहूर

बता दें कि कश्मीरी चेरी दुनिया भर में मशहूर है और इनकी काफी मांग है.  किसानों का कहना है कि अगर सरकार उन्हें फसल बेचने या उसकी मार्केटिंग करने में मदद करेगी तो उन्हें फायदा होगा. कोविड के कारण उन्हें पिछले साल भारी नुकसान उठाना पड़ा था. किसानों को उम्मीद है कि सरकार के फैसले से उन्हें काफी मदद मिलेगी.

अन्य फसलों की बिक्री में भी मदद की उम्मीद

इस पर मोहम्मद आयुब कहते हैं, फसल अच्छी है. हालात ठीक रहने चाहिए. हमारा माल बाहर की मंडियों में जाए और इसकी बिक्री हो. पिछले साल बहुत नुकसान हुआ था, पेड़ों पर माल सड़ गया.

वही किसान गुलजार अहमद का कहना है कि इस बार फसल अच्छी है. उम्मीद है कि हमें फायदा होगा.

कश्मीर के किसान चाहते हैं कि सरकार अन्य फसलों की बिक्री में भी उनकी मदद के लिए आगे आए. सेब और अखरोट जेसे बड़ी खेती करने वाले किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनके लिए भी कोई योजना लेकर आएगी और अगर ऐसा होता है तो कश्मीर की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हो सकता है.

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